मिस्टर खड़ूस जब नेतागिरी किया करते थे
तो सिर्फ आश्वासन दिया करते थे
और खुले मन से रिश्वत लिया करते थे
उनके बहुत ही ऊंचे संस्कार थे, जब तक कि वे बेरोजगार थे
बेरोजगारी के उन दिनों में वे खूब नारे लगाते थे
और मजबूत से मजबूत सरकार को भी
गगनभेदी नारों से हिलाते थे
और आखिर शोरोगुल से धूल चटाते थे
धीरे धीरे समय की धार के किनारे बदले
और जीवन के नज़ारे बदले
अफसर तक उनके काबू हो गए - जब
वे सरकारी दफ्तर में बाबू हो गए
कौन सी फाइल कब ढेर से निकालनी है ,
कब उसकी धूल झाड़कर उसे सिर्फ खंगालनी है
देखनी है,भालनी है
एक शब्द लिखने का कितना लेना है
इस पर शोध हो गया
तो माया नागिन को
अपनी रसभरी वाणी की बीन पर
नचाने का बोध हो गया |
उनके कलम में जैसे चुम्बक लगा था ,
और अफसर भी जैसे उनका चाचा सगा था |
इस प्रकार उन्होंने शुरू की अपनी भलाई ,
और अपनी किस्मत चमकाई
इस तरह किया उन्होंने समाज सुधार
औरअंततः
देश का उद्धार-
एक कमरे की खोली को कोठी में बदला
और धीरे -धीरे काबू किया -मंत्री का बंगला
बड़े बड़े सितारे उनके चरण चूमते हैं
क्यूंकि वे लाल बत्ती वाली कार में घूमते हैं
वे रेड लेबल के सुरूर में झूमते हैं
प्रजातान्त्रिक देश में
नेता के वेश में उन्होंने नयी पार्टी खोली है
उनका भविष्य तो उज्जवल है
और देश का भगवान ही जाने
तभी मुझे सी बी आई और ई डी का ख्याल आया
और तुरतबुद्धि का जन्मजात गुण मेरे काम आया
मैं हाथ जोड़कर बोला-
माफ़ करना होली के नशे में बहक गया
दरअसल दोस्तों, मेरे सच का बुरा न मानना -समझ लेना बस हँसी-ठिठोली है,
क्यूंकि होली है ,बुरा न मानो होली है...
- रामकुमार 'सेवक'