फिल्म-टी वी : हिंदी फिल्मो के पहले नारद - ओमकार नाथ धर उर्फ़ जीवन

रामानंद सागर के पौराणिक धारावाहिक रामायण को कोई भूल नहीं सकता |उनका एक और पौराणिक धारावाहिक भी अत्यंत प्रभावित करता है,नाम हैं-श्रीकृष्ण |श्रीकृष्ण में नारद की भूमिका को देखकर भक्ति की अनुभूति होती है लेकिन विभीषण और नारद की सकात्मक भूमिका को लोग स्वीकार नहीं कर पाते और आज भी जीवन की भूमिका को याद करते हैं |

मुझे ध्यान आ रहा है एक अन्य जीवन का जो बचपन में मेरा सहपाठी था |पढ़ने -लिखने में उसका हाथ थोड़ा  तंग था |हमारे शिक्षक जब डांटते थे तो उसकी तुलना फ़िल्मी जीवन से किया करते थे ,इस प्रकार जीवन के फ़िल्मी गिरगिटी चरित्र की लोकप्रिता बहुत व्यापक थी |

फ़िल्मी परदे पर उन्होंने 49 फिल्मो में नारद की भूमिका निभाई |शुरूआत में जबकि पौराणिक फिल्मो का दौर था |उन्होंने नारद का जो चरित्र गढ़ा,उसने जीवन को समझा दिया कि विधाता ने उन्हें खलनायक के रूप में फिल्मो में भूमिका करने के लिए ही उत्पन्न किया है |उन्होंने अपने जीवंत अभिनय से अपना नाम अमर किया |आइये उनके जीवन को करीब से देखें -   

वे कश्मीरी परिवार में 24 अक्टूबर 1915 को श्रीनगर में जन्मे थे | उनका मूल नाम ओंकारनाथ धर था |उनके जन्म के साथ ही उनकी माता जी का निधन हो गया और तीन वर्ष की आयु होते ही पिता का साया भी उनके सर से हट गया |उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उनके दादाजी पर आयी जो कि वहां के गिलगित प्रान्त के गवर्नर थे |जीवन के बड़े परिवार में कुल मिलकर 24 भाई बहन थे। ऐसे परिवार का बेटा होने के नाते फिल्में करना जनता में अच्छा नहीं माना जाता क्योंकि उस समय फिल्मो के बारे में लोगों में अच्छी राय नहीं थी  इसलिए 18 साल की उम्र में घर से भागकर सिर्फ 26 रुपये जेब में लेकर वे बम्बई आ गए |

फिल्मो की शुरूआत  जीवन ने डायरेक्टर मोहनलाल सिन्हा के स्टूडियो में की थी।वहां वे reflector का काम करते थे |यह एक बहुत मामूली काम था चूंकि नायिका में चमक पैदा करने के light का जो इस्तेमाल होता था ,जीवन उसे डालने में मदद करते थे लेकिन इनकी रूचि अभिनय में थी |इससे भी पहले उनकी रूचि फोटोग्राफी में थी |अभिनय के प्रति अपनी  रूचि जब उन्होंने प्रकट की तो उनके मालिक डायरेक्टर  मोहनलाल ने इनका स्क्रीन टेस्ट लिया और इसमें सफल होने पर उन्होंने अपनी फिल्म 'फैशनेबल इंडिया' में इन्हें एक भूमिका दी |

 वे बहुत अनुशासित थे ,फिल्मो के सेट पर समय से पहुँचते थे और अपने काम के स्थान को मंदिर की तरह पवित्र मानते थे इसलिए सभी निर्देशक उनकी क़द्र करते थे |बाद में उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में कीं लेकिन अहंकार से बचे रहे |वे गरीबों की मदद करते थे और उनके बच्चों को पढ़ाते भी थे |

उनके बारे में लोगों का कहना था कि अभिनय करते समय तो वे खलनायक होते थे लेकिन वास्तविक जीवन में वे एक आदर्श नायक थे | 

जीवन ने 60, 70 और 80 के दशक में फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया |

'जीवन' अपनी विशिष्ट शैली से अपने किरदार को जीवंत करते थे |अपनी दुबली-पतली काया, लंबे कद और संवाद बोलने की अपनी विशेष शैली से फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान के साथ जीवन ने धार्मिक फिल्मों में नारद मुनि की भूमिका में अपने को इतना फिट पाया कि वह नारद मुनि के रूप में स्थापित हो गए |जीवन के नारद मुनि रोल पर मिड डे ने एक आर्टिकल में लिखा था- अगर स्वर्ग में से नारद मुनि खुद आ जाए और जीवन की तरह नारायण-नारायण न कहे तो लोग उन्हें भी नारद का डुप्लिकेट मानेंगे।जीवन ने किरण से विवाह किया और अपने निवास  स्थान का नाम जीवन किरण रखा |

जीवन को पहचान 1935 में आई फिल्म 'रोमांटिक इंडिया' से पहचान मिली थी। जीवन ने अफसाना', 'स्टेशन मास्टर', 'अमर अकबर एंथनी, नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम जैसी यादगार फिल्मों में काम किया था।

जब उन्होंने फिल्मों में विलेन की भूमिका अदा की तो फिल्मों में प्राण जैसे दिग्गज विलेन के दौर में भी अपनी एक अलग जगह हासिल की।उस समय विलेन का किरदार भी इतना पाॅवरफुल होता था कि बहुत बार तो हीरो से ज्यादा विलन लोकप्रिय हो जाता था |

 जीवन ऐसे ही प्रमुख खलनायकों में से हैं जिनकी बहुत सी फिल्मो में उनकी चर्चा हीरो से नहीं ज्यादा होती थी।फिल्मों में जीवन के बोलने का लहजा और उनका अभिनय  बिलकुल  मौलिक  था  |

इससे  उनके अभिनय की एक अलग पहचान बन गई। 

जीवन ने लगभग चार दशक तक फिल्मों में काम किया। जीवन की फिल्मों की लिस्ट लंबी है, स्वामी, कोहिनूर, शरीफ बदमाश, अफसाना, स्टेशन मास्टर, अमर अकबर एंथनी, धर्म-वीर नागिन, शबनम, हीर-रांझा, जॉनी मेरा नाम, कानून, सुरक्षा, लावारिस, नया दौर, दो फूल, वक्त, हमराज, बनारसी बाबू, गरम मसाला, सुहाग, नसीब और गिरफ्तार आदि जीवन की यादगार फिल्में हैं। 

जीवन को मनमोहन देसाई की फिल्म अमर अकबर एंथोनी और धरमवीर में विलेन का रोल निभाने के लिए भी जाना जाता है|खूंखार विलेन द्वारा कॉमेडी करने का ट्रेंड भी बॉलीवुड में जीवन ने शुरू किया था। इसे बाद में कादर खान, शक्ति कपूर और परेश रावल ने इसे आगे बढ़ाया।

10 जून 1987 को 71 साल की उम्र में जीवन का निधन हो गया। आज भी बड़े-बड़े कलाकार फिल्मों में जीवन के अभिनय की नकल करते नजर आते हैं।जीवन के दो बेटे- किरण कुमार और भुषण जीवन हैं। किरण कुमार बॉलीवुड और टीवी के जाने-माने एक्टर हैं। वहीं, उनके दूसरे बेटे भूषण जीवन की 1997 में लिवर की खराबी के कारण मौत हो गई थी। 

 - कुणाल