भारत के महान शोमैन राज कपूर के पुत्र ऋषि कपूर के खून में ही जैसे अभिनय घुला हुआ था |ऋषि कपूर के बचपन का एक किस्सा अक्सर चर्चा में रहता है |
इस किस्से को हजम करने के लिए हमें अपने नैतिक मापदंडों को नज़रअंदाज़ करना होगा |हुआ यह कि ऋषि जब छोटे थे उनके पिता राजकपूर ने उन्हें शराब का एक घूँट दे दिया |कहते हैं कि शराब भीतर जाते ही ऋषि ने शराबी का अभनय शुरू कर दिया |इस प्रकार अभिनय उनके खून में था |अभिनय के अलावा कुछ और वे कर ही नहीं सकते थे |
ऋषि कपूर के बारे में सोचते हैं तो राजकपूर की फिल्म मेरा नाम जोकर याद आती है |राजकपूर ने अपने बचपन को प्रदर्शित करने के लिए अपने पुत्र ऋषि कपूर को माध्यम बनाया |एक मासूम सा बच्चा,जो गरीब माँ का बेटा है, जिसके पिता नहीं हैं |ऐसे निर्धन विद्यार्थी की भूमिका ऋषि कपूर ने सहजता से निभा ली थी |उसके लिए उन्हें 1970का राष्ट्रीय बाल फिल्म पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था |
उस फिल्म में ही पता चल गया था कि भगवान ने उन्हें अभिनेता बनने के लिए ही जन्म दिया है |विगत 30-अप्रैल 2020-को ऋषि कपूर इस दुनिया में नहीं रहे |आइये उनके जीवन को करीब से देखें -
ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 को मुंबई में हुआ |उनके पिता श्री राजकपूर भारतीय फिल्मो के सुपरिचित और इतिहासपुरुष हैं |
मेरा नाम जोकर राजकपूर का एक सपना थी लेकिन फिल्म इतनी सफल साबित नहीं हुई |फिल्म के बाद राजकपूर बड़े नुकसान के नीचे आ गए |उन्होंने अपनी टीम के लेखक ख्वाजा अहमद को एक ऐसी कहानी लिखने को कहा जो युवाओं के दिल में उतर सके |ख्वाजा अहमद अब्बास ने बॉबी लिखी जो कि सीधे युवाओं के दिल में उतरी |फिल्म के नायक थे ऋषि कपूर और नायिका थी डिंपल कपाडिया |इस फिल्म ने भारत के युवाओं को प्रेम की आंधी में उड़ने को मजबूर कर दिया |बॉबी ने राजकपूर के पुराने नुक्सान की तो भरपाई की ही,नयी फ़िल्में बनाने की आर्थिक हिम्मत भी दी |
ऋषि कपूर की फिल्मो में ज्यादातर फिल्में वो हैं जिनमें वो रोमांटिक युवा हैं लेकिन उनके भीतर का अभिनेता कुछ नया करना चाहता था |वे बहुत साफदिल के व्यक्ति थे जिसके कारण विवादों में आ जाते थे और मुंहफट कहलाते थे |
सबसे पहली फिल्म में ही राजकपूर ने उन्हें सख्त ट्रेनिंग दी |मैं शायर तो नहीं ,गाने के लिए कोई कोरियोग्राफर आदि नहीं था ,जो उन्हें उनके काम के बारे में समझाता |राजकपूर का कहना था कि वे अपनी समझ से करें और उन्होंने किया |
एक दर्शक ने उनसे स्पष्ट कहा कि पंजाबी होने के बावजूद उन्होंने किसी पंजाबी फिल्म में काम क्यों नहीं किया तो सबसे पहले उन्होंने भाषाई संकीर्णता से अपने आपको अलग किया और फिर बताया कि पंजाबी फिल्म में भी मैं काम करने को हमेशा तैयार हूँ लेकिन कोई स्क्रिप्ट या रोल तो लेकर आये |
मुल्क फिल्म में उनकी भूमिका बहुत चर्चित रही ,जिससे अभिनेता के तौर पर उन्हें संतुष्टि भी हुई |
उन्हें बॉबी फ़िल्म के लिए 1974 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला |2008 में उन्हें फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया |
अपनी पहली फ़िल्म मेरा नाम जोकर में बाल कलाकार के रूप में शानदार भूमिका केलिए उन्होंने 1970 में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्राप्त किया।
उन्होंने 1973 और 2000 के बीच 92 फिल्मों में रोमांटिक नायक के रूप में प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं।नीतू कपूर के साथ ऋषि की जोड़ी को बेहद पसंद किया गया। खासतौर पर युवा इस जोड़ी के दीवाने थे। दोनों ने कई फिल्में की और अधिकांश सफल रही।
30 अप्रैल 2020 को अस्थिमेरु कैंसर (बोन मैरो कैंसर) के कारण 67 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी।मृत्यु से पहले उनकी जो वीडियो यू ट्यूब पर आयी है,उसमें वो एक युवक से कह रहे हैं कि प्रसिद्धि के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है |किस्मत की भूमिका से भी उन्होंने इंकार नहीं किया लेकिन मेहनत का दर्जा उससे ऊपर है |
- कुणाल