- रामकुमार सेवक
हमारे शास्त्रों में माता को प्रथम पूज्या माना गया है |धर्मशास्त्र कहते हैं-मातृ देवो भव |यद्यपि इसके बाद पितृ देवो भव भी कहा गया लेकिन प्रथम स्थान माता को ही दिया गया |
मुझे आश्चर्य इस बात पर होता है कि माता को शक्ति क्यों माना गया जबकि माता स्त्री के शरीर में होती है और कवि जयशंकर प्रसाद जी स्त्री के बारे में लिखते हैं-
अबला जीवन हांय तुम्हारी यही कहानी ,
आँचल में है दूध, आँखों में है पानी |
प्रसाद जी जिसे अबला अथवा बलहीन कहते हैं शास्त्र उसे शक्ति मानते हैं |इस स्थिति में उलझन पैदा हो जाती है-कि नारी अबला है या शक्ति है |
प्रश्न यह भी पैदा होता है कि माँ स्त्री है या पुरुष ?
कोई भी व्यक्ति इसका उत्तर देगा कि - माँ स्त्री ही है | यह उत्तर गलत भी नहीं है क्यूंकि शरीर में से शरीर पैदा करने अर्थात जन्म देने की क्षमता परमात्मा ने स्त्री को ही दी है |लेकिन कुछ पुरुष ऐसे भी देखे गए हैं जिन्होंने अपनी पत्नी की मृत्यु होने पर अपनी संतान को पूरी ममता से पाला |उन्होंने पिता की भी भूमिका निभाई और माता की भी |
कवि रविंद्रनाथ टैगोर की मृत्यु के बाद लोगों ने विभिन्न रूपों में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की लेकिन सबसे प्रभावी श्रद्धांजलि एक बालक की मानी गयी जिसने बांग्ला भाषा में कहा कि वे हमारी माँ थे | रविंद्रनाथ टैगोर तो एक पुरुष थे लेकिन उस बालक ने उन्हें अपनी माता बताया | क्या बालक गलत था ? वह सरल बालक जिसमें प्रभु का वास बताया जाता है वह गलत नहीं हो सकता |
रविंद्रनाथ पुरुष थे ,यह सत्य है लेकिन वे उस बालक की माता थे यह भी उतना ही सत्य है क्यूंकि उसने अपनी जन्मदायिनी माता को कभी देखा ही नहीं था या वह अभागिन माता अपने बच्चे को वो प्यार नहीं दे सकी जो वह उसे देना चाहती थी |उसने रविंद्रनाथ को ही देखा जिन्होंने उसे माता का प्यार दिया, ममता दी |
समाज में बहुत से लोग हुए हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के न रहने पर संतान का पालन-पोषण उसी ममता से किया है और संतान ने भी दिल से उनकी भूमिका को महसूस लिया और अवसर आने पर पूरी कृतज्ञता प्रमाणित की |
फिल्म अभिनेत्री मीना कुमारी के बारे में वर्षों पूर्व शब्द कुमार जी ने धर्मयुग में लिखा-अँधेरे में या जब भी वे डर जाती थीं तो आवाज़ निकलती थी - हांय बाबू जी |
उसका कारण यह था कि वे अपनी माँ की सातवीं संतान थीं और पहले ही उनकी माता की छह पुत्रियां थीं और उनकी माता एक लड़का चाहती थीं |
कहते हैं कि पैदा होते ही उन्होंने मीना कुमारी को अपने से अलग कर दिया था ,यहाँ तक कि दूध भी नहीं पिलाया लेकिन पिता उन्हें उठाकर लाये और अपना प्रेम दिया इसलिए वे किसी भी प्रकार का दर्द महसूस होने पर अपने पिताजी को ही याद करती थीं |
सुष्मिता सेन दो बेटियों की माँ हैं जबकि उन्होंने अभी तक शादी की ही नहीं |उन्होंने दो बेटियां गोद ले रखी हैं | एक अभिनेता और भी हैं जिन्होंने बच्चा गोद ले रखा हैं और उन्हें पाल रहे हैं |
इस आधार पर सोचते हैं तो पाते हैं कि जिस प्रकार जो रोग निवारण कर दे वह डॉक्टर कहलाता है , जो शिक्षा प्रदान करता है वह शिक्षक कहलाता है इसी प्रकार जिसमें ममता का गुण है, वह माँ है |
अंततः यही निष्कर्ष निकलता है कि प्रश्न स्त्री या पुरुष होने का नहीं है, जिसमें ममता का दुर्लभ गुण है, वह माँ है | इस दृष्टि से मैं दुनिया की हर माता को प्रणाम करता हूँ |