निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज को, हिंदी लेखक और साहित्यकार श्री रामकुमार सेवक, युगांतरकारी व्यक्तित्व मानते हैं| इस सम्बन्ध में उनका तर्क है कि बाबा हरदेव सिंह जी, युग बदलने की क्षमता रखते थे |
जब वे शरीर में थे तब हम उन्हें युगदृष्टा कहते थे चूंकि वे इतने दूरदर्शी थे कि युग की ज़रुरत को जानते थे |
वे उन्हें युगांतरकारी व्यक्तित्व इसलिए मानते हैं क्यूंकि उन्होंने खून का बदला खून से नहीं लिया बल्कि खूनदान करके लिया| विश्व, देश व समाज को उन्होंने एक नया रास्ता दिखलाया - संहार के बदले संहार नहीं बल्कि रचना का, श्रृंगार का रास्ता |वे 1954 में आज ही के दिन जन्मे और 13 मई 2016 को इस धरा धाम से विदा हो गए |
वे मानवीय मूल्यों के महत्व को भली भांति समझते थे इसीलिए उन्हें याद करना मानव मूल्यों के महत्व को याद करना है |वे कहते थे-कुछ भी बनो मुबारक है,पर पहले बस इंसान बनो |
मानव मूल्यों के बारे में उनका कहना था-
इसका नहीं ग़म कि-गिरी सिक्के की कीमत,
अफ़सोस है कि कीमत-ए-इंसान गिरी जाती है |
मानव मूल्यों की रक्षा करने के लिए वे सदैव मानव मात्र को प्रेरित करते थे |इस प्रेरणा को हमने साकार होते देखा चूंकि उनके संरक्षण में निरंकारी मिशन ने रक्तदान का महाअभियान चलाया ,जिसके पहले रक्तदानी वे स्वयं ही थे |
उनकी नीयत चूंकि स्वच्छ एवं पवित्र थी इसीलिए बड़े-बड़े काम सफलतापूर्वक कर लेते थे |1980 में ही एक ऑस्ट्रेलियन भविष्यवक्ता जेड बारसेला ने उनके सम्बन्ध में कहा था कि बाबा हरदेव सिंह जी के लिए अपने -पराये का कोई भेद नहीं होगा |जितना प्रेम वे अपने अनुयाइयों को करेंगे उससे कहीं ज्यादा उन्हें करेंगे ,जिनसे उनका कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होगा |
जहाँ वे जाते थे इंसानो के दिल में एक अनूठी ख़ुशी पैदा हो जाती थी | स्त्री हो या पुरुष सबमें यह उम्मीद जागती थी कि बाबा जी के रहते हमें चिंता करने की ज़रुरत नहीं है लेकिन यीशु मसीह ,मार्टिन लूथर किंग ,अब्राहम लिंकन तथा महात्मा गाँधी की तरह उनकी भावना के यथार्थ को पूरी तीव्रता से महसूस नहीं किया जा सका |लोग उन्हें सिर्फ ऐसा आध्यात्मिक नेता ही समझते रहे जो समाज सेवा से भी जुड़ा था लेकिन वे परमात्मा के ज्ञान के आधार पर ,मानव मूल्यों को बचाने में विश्वास करते थे |वे धर्म को किसी वर्ग या संप्रदाय की सीमा में नहीं बांधते थे इसलिए कहते थे-धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं |उनका सबको सन्देश था -मिलकर रहना,प्यार करना धर्म है, ईमान है | इस प्रकार वे ऐसे धर्म के संरक्षक थे ,जो सबका है और असीम है |
बाबा हरदेव सिंह जी को याद करना मानवता को,जीवन को याद करना है |सब उनके अपने थे चूंकि वे सबके अपने थे |
यह शेअर उन पर शत-प्रतिशत लागु होता है-वे हकीकत में थे इक मुक़द्दस किताब,लोग पढ़ते रहे,नावलों की तरह |
और अंत में इस शेअर के साथ मैं अपनी बात समाप्त करती हूँ -
जाने के बाद जिनको ढूंढता रहता है फिर ज़माना,
ऐसे भी ज़माने में कुछ इंसान हुए हैं |
युगांतरकारी व्यक्तित्व निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी