राष्ट्रीय मतदाता दिवस (25 जनवरी 2020) पर विशेष

मतदाताओं को अपने प्रतिनिधि जागकर चुनने चाहिए



आज नेशनल वोटर्स डे अर्थात राष्ट्रीय मतदाता दिवस है |हम भारत्तीयों में सबसे ज्यादा आबादी वोटर्स की ही है |सरकारों के फैसलों का सबसे ज्यादा असर भी हम पर ही पड़ता है|


जी .एस .टी., प्याज के दामों की ऊंचाई, ट्रैफिक चालान आदि हमें ही भरने पड़ते हैं |वोटर हैं इसलिए वोट के दिन भयंकर गर्मी हो या ज्यादा बारिश, हम जोश के साथ वोट देने जाते रहे हैं |भारत में प्रजातंत्र अथवा ज़म्हूरियत की सफलता के लिए हम मतदाताओं का जागरूक होना बहुत जरूरी है |


सवाल यह भी उठता है कि वोट के बदले हमने पाया क्या ? पांच वर्ष तो लगभग हर सरकार के बीत ही जाते हैं लेकिन वोट देने के कुछ ही महीनो बाद हमें अक्सर यह महसूस होना शुरू हो जाता है कि हमारे जीवन में अच्छे दिन तो आये नहीं लेकिन नयी - नयी मुश्किलें जरूर पैदा हो गयी हैं |


अनेक बार सरकार की मंशा भी गलत नहीं होती लेकिन हमारे बच्चों को रोज़गार नहीं मिल रहा उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया जा रहा |


शायद सरकार की मंशा ही ठीक नहीं अन्यथा किसी भी इंसान के लिए पहली ज़रुरत रोटी ही होती है |क्या हमारी सरकारों के पास इतना भी विवेक नहीं है कि समझ सकें कि भारतीय मतदाताओं की पहली ज़रुरत क्या है ?


देश की अखण्डता की रक्षा भी जरूरी है लेकिन हम लोगों की बुनियादी ज़रूरतों की पूर्ति पहली ज़रुरत है |जीवन ही नहीं बचेगा तो देश या दुनिया को हम कैसे बचा पाएंगे ?


 पूरे देश के तौर पर देखें तो पाते हैं कि भारतीय मतदाता में विविधता बहुत है |दक्षिण भारत का निवासी अपने लिए देश की परिकल्पना किसी और रूप में करता है| उत्तर भारत, पश्चिमी भारत और उत्तरपूर्व का मतदाता खुशहाली के बारे में किसी और तरह से सोचता है इसलिए इतनी सारी प्रादेशिक पार्टियां और दल अस्तित्व में हैं |


खुशहाली की परिभाषा चाहे हर व्यक्ति अलग तरह से करे लेकिन बुनियादी ज़रूरतें उसकी भी वही हैं| कल 24 जनवरी को ही सर्वोच्च न्यायलय ने चुनाव आयोग को बुलाकर राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के उपाय करने का आदेश दिया |


चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि अपराधी छवि के नेताओं को टिकट न दें लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में यह अपील वैसी ही है जैसे पशु कल्याण संस्था द्वारा शेर से अपील की जाए कि वे हिरन आदि का शिकार करना छोड़ दें |


ऐसी अपील तो किसी भी धर्मग्रन्थ में छपे हुए सुभाषितों के समान है जिन्हें पढ़ते तो सब हैं ,विरोध कोई नहीं करता लेकिन जिनका पालन भी कोई दल नहीं करता |


देखा यह जा रहा है कि सत्ता अपराधी को दण्डित करने की बजाय पीड़ित को ही जेल भेज देती है इसलिए हम मतदाताओं को अपने वोट की महत्ता पहचाननी होगी |


मेरे ख्याल से हर मतदाता को प्रण करना चाहिए कि हमारे वोट की महत्ता के कारण ही नेता हमारे सामने गिड़गिड़ाते हैं | वे विनम्रता का दिखावा करते हैं लेकिन भेड़ की खाल में छिपे भेड़िये अथवा कुत्ते अथवा सही अर्थों में जनसेवक ,किसी को भी सही तरह से पहचाना जाए |


यह जरूरी है कि अपने वोट को किसी भी कीमत पर बेचा न जाए |


किसी भी राजनीतिक पार्टी पर अन्धविश्वास न किया जाए |अपराधियों को किसी भी स्थिति में वोट न दिया जाए भले ही वे अपनी ही जाति-धर्म और इलाके के ही क्यों न हों |


वोट देने से पहले प्रत्याशियों की वास्तविक गोपनीय रिपोर्ट यदि कहीं किसी चैनल पर मिल जाए तो उसे नज़रअंदाज़ करने की गलती न करें |


भारत एक है ,इसका संविधान एक है इस एकता और अखंडता के विरुद्ध काम करने का किसी को कोई अधिकार नहीं इसलिए ऐसे व्यक्तियों को कभी भी अपना प्रतिनिधि न चुने |