यद्यपि निरंकारी मिशन सादगी और सौहार्द को साथ साथ निभाता है लेकिन जैसे जैसे मिशन में समृद्ध लोगों का प्रवेश हुआ तो शराब का प्रवेश भी अनायास ही हो गया |
बाबा गुरबचन सिंह जी उसी सादगी को जीवन का अनिवार्य अंग बनाये रखना चाहते थे जो कि भक्ति पूर्ण जीवन जीने में सहायक सिद्ध होती है |
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमारा देश इतना अमीर तो नहीं है कि फिजूल खर्ची को जीवन का अंग बनाया जा सके |वे बहुत दूरदर्शी महामानव थे घर -परिवार में विशेषकर महिलाओं को होने वाली कठिनाइयों को भली भांति समझते थे |
शराब से जो बच गया उसके परिवार में भक्ति के भाव अपने आप ही बन गए क्यूंकि गुरु के एक वचन का पालन तो अपने आप ही हो गया |गुरु के वचन की अपने आप में बहुत महत्ता है क्यूंकि गुरु की अपने आप में बहुत ताक़त होती है जैसे बाबा हरदेव सिंह जी की अलौकिक क्षमता को मैंने अनेक बार हृदय से महसूस किया है ,वह महसूसियत बहुत गहरी है |वास्तव में यह अनुभूति ही भक्ति को जन्म देती है |यह भक्ति ही आस्था को जन्म देती है और इसी से एक भक्त का जीवन प्रफुल्लित होता है |