ये सब छतरियां लेकर आये हैं इसीलिए बारिश हुई है..

प्रोफेसर राजन सचदेवा जी एक बार बाबा गुरबचन सिंह जी को याद करते हुए फरमा रहे थे कि गर्मियों के दिन थे |गर्मी के दिनों में अक्सर बरसात ही याद आती है लेकिन बारिश इंसान के नियंत्रण में नहीं है |बरसात तो मालिक की कृपा से ही आती है |
घटना पंजाब के किसी स्थान की है |बाबा गुरबचन सिंह जी का युग था |बाबा जी स्टेज पर विराजमान थे |आयोजकों की परेशानी भी वाजिब थी |संगतों की संख्या काफी थी |ऐसा लग रहा था कि बारिश आएगी |आयोजक हैरान थे क्योंकि पूरा मैदान ऊपर से पूरी तरह खुला था |
विचार शुरू होने लगे थे आयोजकों ने अरदास की |बाबा जी बिलकुल निश्चिन्त थे |उन्होंने कहा बेफिक्र रहो बारिश बिलकुल नहीं आएगी |
जैसे ही विचार संपन्न हुए बारिश तेज हो गयी |
कुछ महापुरुषों ने कहा-बाबा जी,आप तो कह रहे थे बारिश होगी ही नहीं लेकिन इतनी बारिश हो गयी और बचाव का कोई इंतजाम नहीं है |
बाबा जी कहने लगे बारिश आने की कोई संभावना ही नहीं थी |मैं बताता हूँ बारिश क्यों आ गयी ?
उन्होंने कुछ महापुरुषों की और इशारा किया ,जिनके हाथों में छाते थे |
उन्होंने कहा कि ये सब छतरियां लेकर आये हैं इनकी वजह से ही बारिश हुई है |
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फौलादी संकल्पों के धनी - युगप्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी

बाबा गुरबचन सिंह जी बहुत दृढ़प्रतिज्ञ महात्मा थे |1973 में जो मसूरी कॉन्फ्रेंस हुई उसमें उन्होंने जो संकल्प पारित करवाए उन्हें व्यवहार में लागू करवा पाना आसान नहीं था |

यद्यपि निरंकारी मिशन सादगी और सौहार्द को साथ साथ निभाता है लेकिन जैसे जैसे मिशन में समृद्ध लोगों का प्रवेश हुआ तो शराब का प्रवेश भी अनायास ही हो गया |

बाबा गुरबचन सिंह जी उसी सादगी को जीवन का अनिवार्य अंग बनाये रखना चाहते थे जो कि भक्ति पूर्ण जीवन जीने में सहायक सिद्ध होती है |

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि हमारा देश इतना अमीर तो नहीं है कि फिजूल खर्ची को जीवन का अंग बनाया जा सके |वे बहुत दूरदर्शी महामानव थे घर -परिवार में विशेषकर महिलाओं को होने वाली कठिनाइयों को भली भांति समझते थे | 

उन्होंने नशाबंदी का आदेश दिया और धीरे धीरे लोगों को महसूस हो गया कि इस आदेश से गुरु को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मानने वालों को बहुत फर्क पड़ता है |घर का वातावरण अध्यात्म के बहुत अनुकूल होता है |पैसे की बचत होती है और घर के खर्चों में अनावश्यक कटौतियां नहीं करनी पड़ती |शराब से जो घर बच जाता है वहां फिर भक्ति की फसल ही लहलहाती है |

शराब से जो बच गया उसके परिवार में भक्ति के भाव अपने आप ही बन गए क्यूंकि गुरु के एक वचन का पालन तो अपने आप ही हो गया |गुरु के वचन की अपने आप में बहुत महत्ता है क्यूंकि गुरु की अपने आप में बहुत ताक़त होती है जैसे बाबा हरदेव सिंह जी की अलौकिक क्षमता को मैंने अनेक बार हृदय से महसूस किया है ,वह महसूसियत बहुत गहरी है |वास्तव में यह अनुभूति ही भक्ति को जन्म देती है |यह भक्ति ही आस्था को जन्म देती है और इसी से एक भक्त का जीवन प्रफुल्लित होता है |