होली आयी-होली आयी
होली आयी-होली आयी,
बूढ़ों में भी मस्ती छायी
धौली मूंछें हुईं कलरफुल
गालों पर भी रंगत आयी
बदल गयी रंगत आंखों की,
भौजी जब हौले मुसकायी
जब भौजी ने चपत लगाई
ये सच है कि मस्ती छायी,
गुजिया थाली में पड़ी दिखाई
बहुत -बहुत मन को समझाया,
जीभ देख-देख ललचाई
काफुर मस्ती हुई कसम से,
जब पत्नी ने आवाज़ लगाई
थोड़ी खाना बहुत मीठी है,
मैं देती हूं, अभी दवाई
याद मुझे अब भी है भाई
गुजियों की जब करें चुराई
दो-दो गुजियां भर जेवों में,
बस हाथों में पड़े दिखाई
फिर भी पेट नहीं भरता था,
कभी किसी से ना डरता था
मां सब कुछ देखा करती थी,
खाने में ना रोक लगाई
होली आयी-होली आयी -----
धौली -----------------------
एक बार फिर मिले सभी -जन,
जानें क्यों अंखियां भरि आई
खोज रहे फिर उन बिछड़ों को,
जो हमसे कर गए विदाई
होली है त्योहार प्यार का,
नफ़रत छोड़े तजें लड़ाई
मन के गन्दे भाव जलाकर,
आने दो तन में तरुणाई
जी-भर ,जी-लो आज सखे तुम,
नहीं किसी से हो रुसवाई
खाओ और खिलाओ भाई,
क्यों कि होली आयी-होली आयी
बूढ़ों में भी ---------------------
धौली मूंछें हुईं -----------------
होली के मौसम में भाई,
फिर से बच्चा जग जाता है
अगर हुई तकरार किसी से,
रंग लगा फिर मिल जाता है
छेड़छाड़ करने की आदत,
मन में फिर से जग जाती है
जो बचपन से दबी पड़ी थी,
बनकर आग सुलग जाती है
डर-डर के जो दिन कटते थे,
आज तो हम फूले फिरते हैं
बूढ़ा हमको जो कहते हैं
बो तो खुद बूढ़े लगते हैं
आज तो हमपे रौनक आयी,
क्यों कि होली आयी-होली
बूढ़ों में भी मस्ती -----+--
धौली मूंछें -------------------
आज तो बस ऐसे रंग जाओ,
अपने -पन का भाव मिटाओ
जीवन रुपी पिचकारी से,
अमन के रंग खूब बिखराओ
गोरी के गोरे गालों पर,
मलो गुलाल सुगंधी बाला
हो अबीर मर्यादा बाला,
तन या मन ना होवे काला
काम में उत्सव की तन्मयता,
तन -मन में हरियाली छायी
होली आयी-होली आयी,
बूढ़ों में भी मस्ती छायी
धौली मूंछें हुईं कलरफुल
गालों पर भी रंगत आयी
देवेंद्र कुमार 'देव'
होली आयी ,होली आयी
बूढ़ों तक में मस्ती छायी
फागुन का मौसम आया है
गांव में जैसे रस छाया है
पिचकारी के रंग पुराने
अब तो कीचड रहे उछाल
भारत माँ के प्यारे लाल
गांव -गली में हैं बुलडोजर
बस के टायर में है पंचर
बस के पीछे भाग रहा है
अपने गांव का बूढा टीचर
संस्कारों की बात कर रहा
जिसको गांव का कुछ है ख्याल
रहे देश भारत खुशहाल
प्रेम-अमन से करे कमाल
आज कमीशन का युग आया
जन जीवन में मंगल छाया
ख़ुशी -ख़ुशी लाला जी कहते
यही मिशन है यही है माया
जिसकी जेब में नोट भरे हैं
उसको मिलती शीतल छाया
ए.सी .की ठंडक पाता है
सत्ता से उसका नाता है
नेताजी की मूछ का बाल
नित करता है नए कमाल
देशभक्ति का धंधा करता
दया-धर्म की बातें करता
बातों से हर संकट हरता
राम का नाम सदा ही जपकर
कुर्ते की नित जेबें भरता
शब्द जाल ऐसे फैलाये
बड़ो बड़ो को धूल चटाये
हरदम काटे मोटा माल
वह करता है बड़े कमाल
वही है हड्डी वही है खाल
फागुन की रंगीं रुत आयी
हर मन में है मस्ती छाई
सत्ता के सपने रँगीन
करते मोहक हर इक सीन
आलस को हैं दूर भगाते
और वैर को लेते छीन |
मन में नयी उमंगें लाई
होली आयी होली आयी
वायु में मधुमास नया है |
नैनो में जो सपने खिलते
उनका इक एहसास या है
जिसकी जेब में मोटा माल
उनकी सदा गली है दाल
नित करता है नए कमाल|
वही है हड्डी वही है खाल
आओ प्रेम से गले लगाएं
यह होली का पर्व मनाएं
-रामकुमार सेवक