जीवन को गुलजार बनाएं
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बेशक लगते जुदा जुदा हम
इक माटी से रचे सभी हम।
बात समझ मुझको ना आए
क्यों आपस में ठने रहे हम।।
भूल सभी मन की कड़वाहट
यह जीवन खुशहाल बनाएं।
प्रेम अमन के फूल खिलाकर
जीवन को गुलजार बनाएं।।
आओ बैठे तनिक विचारे
कौन छिने सुख चैन हमारे।
घोल रहा मन कौन गरल है
बीच खड़ी क्यों है दीवारें।।
सोच समझकर काम करें यूं
बहकावे में अब ना आए।
प्रेम अमन के फूल खिलाकर
जीवन को गुलजार बनाएं।।
सदा देशहित काम करें हम
तनिक नहीं आराम करें हम।
भारत अपना बने निराला
इसका ऊंचा नाम करें हम।
मानव से मानव को जोड़ें
अमन चैन का पथ अपनाएं।
प्रेम अमन के बिरवे बोएं
दुनिया को गुलजार बनाएं।।
जाति धर्म की यह दीवारें
खड़ी करें जो बीच हमारे।
माफ नहीं है उनको करना
आज शपथ लें साथ हमारे।
मिलकर सारे लोग रहेंगे
रिश्ते नाते ना मुरझाए।
अमन प्रेम के फूल खिलाकर
जीवन को गुलजार बनाएं।।
मुश्किल आए कभी किसी पर
मदद करें सब हाथ बटाएं।
जो निर्धन लाचार बहुत हैं
बढ़कर उनको गले लगाएं।
मानवता संदेश हमारा
मानवता की अलख जगाएं।
प्रेम अमन के फूल खिलाकर
जीवन को गुलजार बनाएं।
मीरा सिंह "मीरा"
2, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर,बिहार
दो
*प्रेम अमन के फूल खिलाकर जीवन को गुलजार बनाऍं,*
*अपने तलक रहें ना सीमित.... सबका ही जीवन महकाऍं।*
*रहेगा दीपक तले ॳॅधेरा ........दूजा दीप जलाने तक,*
*ये जग रौशन हो जाएगा ......अपने मन का दीप जलाऍं।*
*इस दुनिया की सबसे पहली .......हमीं ईकाई हैं यारो!*
*नींव अगर मजबूत भरी हो.. कितना ऊॅंचा महल बनाऍं।*
*चले आग से आग बुझाने ......आग बुझेगी सोच लिया,*
*पानी चाहिए ......आग बुझाने को पानी से आग बुझाऍं।*
*सुना बड़ों का साथ हमारी ...शान बढ़ाया करता है,*
*उन सॅंग बैठें खुद जाकर पर ..छोटों को भी पास बिठाऍं।*
*जीवन सुखी बनाने खातिर .....सभी उपाय बौने हैं,*
*सुख पाने का एक ही जरिया ....लेनी होंगी सिर्फ दुआएं।*
*मदन शेखपुरी (यमुना नगर,हरियाणा )
भारतीय संस्कृति
-प्रेमस्वरुप पारस (शिकोहाबाद ,उत्तर प्रदेश )
हैं धर्म ,वेश,भाषा अनेक |
पर भावों से सब यहाँ एक |
छू नहीं सके छल और दम्भ
है उन्नत का संगम विशेष |
यह मानवता की आकृति है ,
अद्भुत भारत की संस्कृति है |
अद्भुत भारत की संस्कृति है |