इस बार भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे कर रहा है,जिसका उत्सव पूरे देश में अनूठे ढंग से मनाया जा रहा है |भारत सरकार ने इस अवसर पर घर -घर तिरंगा फहराने की योजना बनायीं और लोगों को निजी रूप से ज्यादा जोश दिखाने का आग्रह किया |
यद्यपि 15 अगस्त तो हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है और बिना कोई विशेष प्रेरणा दिए भी स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में लोग राष्ट्रीय ध्वज फहराते ही हैं लेकिन स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव अर्थात 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ज्यादा उत्साह दिखाने का आग्रह किया गया था |
जैसे कि ऊपर कहा जा चूका है कि स्वतंत्रता दिवस तो विशेष दिन है ही |सब लोग इस त्यौहार को उत्साह से मनाते ही हैं लेकिन कुछ समय से देश की परिस्थिति में अनेकता में एकता और मानवता के मूल्यों के प्रति एक प्रकार की अरुचि सी छायी हुई है |लोगों में परस्पर लगाव कम हुआ है |धर्मो के प्रति परस्पर अविश्वास स्पष्ट दिख रहा है |अनेक धर्म संसदों के आयोजन में ऐसा वातावरण देखने को मिला जिसके कारण परस्पर सौहार्द और गंगा जमुनी संस्कृति की मजबूती ढीली प्रतीत हुई है |देश के अनेक नगर हिंसा से झुलसते नज़र आये |
यद्यपि प्रधानमंत्री जी ने हर बार इस परिस्थिति को सहज बनाने की कोशिश की है लेकिन यह कोशिश सफल होती नज़र नहीं आ रही है |
पंद्रह अगस्त को लालकिले की प्राचीर से बोलते हुए उन्होंने पांच प्रण अपनाने का आग्रह किया |इन पांच प्रणो में देश का नवनिर्माण तो है ही हम भारतीयों की एकता और एकजुटता भी है | ये पांच संकल्प पढ़ने -सुनने में बहुत अर्थपूर्ण लगते हैं लेकिन देखा जा रहा है देश के एक बड़े वर्ग को देशद्रोही घोषित करने में एक अन्य वर्ग को कोई संकोच नहीं है जबकि हम सब एक ही भारतमाता की संतान हैं |एक ही भारत के हम सब बेटे-बेटियां हैं तो हमें राष्ट्रीय एकता को खंडित करने वाला कोई नारा नहीं अपनाना चाहिए | कोई संकल्प चाहे जितना भी अर्थपपूर्ण क्यों न हो,व्यवहार में लाये बिना अपनी कोई उपयोगिता सिद्ध नहीं कर सकता इसलिए किसी भी संकल्प के पीछे उस पर व्यवहार करने का वास्तविक भाव अन्तर्निहित होना अति आवश्यक है |
उदाहरण के लिए देखें-पंद्रह अगस्त को प्रधानमंत्री जी ने स्त्रियों का सम्मान करने का प्रबल आह्वान किया लेकिन एक तरफ प्रधानमंत्री जी स्त्रियों का सम्मान करने का आह्वान कर रहे थे,दूसरी ओर गुजरात सरकार द्वारा बिलकिस बानो नामक एक मुस्लिम महिला के साथ बलात्कार करने वाले ग्यारह अपराधियों की आजन्म कारावास को माफ़ करके उन्हें स्वतंत्र किया जा रहा था |इन लोगों ने इस महिला के साथ बलात्कार ही नहीं किया बल्कि उसकी छोटी सी बच्ची को पटक पटक कर मार डाला |
ऐसे अपराधियों की समय से पहले रिहाई प्रधानमंत्री जी के महिलाओं के सम्मान के आह्वान पर प्रश्न चिन्ह लगाती है |
नरेंद्र मोदी जी भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री हैं ,जिन्हें जनता ने सिर आँखों पर बैठाकर दो-दो बार लोक सभा में प्रचंड बहुमत प्रदान किया है |जनता का यह प्रेम उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपता है कि उन्होंने जो पांच संकल्पों को पांच प्रण बनाने की बात कही है,उन्हें व्यवहार के धरातल पर भी सत्य दिखना चाहिए अन्यथा उनके प्रणो का महत्व जुमलों से ज्यादा नहीं रह पायेगा |
आज़ादी के अमृत महोत्सव पर यह एक बड़ी चुनौती है |
- आर.के.प्रिय