चिंतन के कण - सिर्फ मनुष्य का भविष्य परमात्मा होना है - कैसे ?

कल किसी विचारक के प्रवचन मैं Youtube पर सुन रहा था |महात्मा कह रहे थे कि मनुष्य का भविष्य परमात्मा होना है और सिर्फ मनुष्य का ही भविष्य यह है अन्यथा पत्थर का भविष्य मिट्टी होना है |मिट्टी का भविष्य पेड़-पौधे होना है |पेड़ -पौधों का भविष्य पशु-पक्षी होना है |पशु -पक्षियों का भविष्य मनुष्य होना है और मनुष्यों का भविष्य निरंकार होना है |

मुझे बाबा हरदेव सिंह जी के एक प्रवचन याद हो गए जिसमें उन्होंने कहा कि-अहंकार से बच और विनम्र बन जा,जैसे रास्ते का रोड़ा | आगे इसे अपडेट करते हुए कहा-रोड़ा तो हर किसी को ठोकर देता है तो रोड़ा नहीं धूल बनना है |आगे अपडेट किया - धूल तो आते-जाते की आँख में लगती है तो कहा-पानी बन जा |आगे अपडेट किया -पानी तो मौसम के अनुसार बदल जाता है - कभी ठंडा तो कभी गर्म इसलिए निष्कर्ष दिया -हरजन ऐसा चाहिए ,हर ही जैसा होय |

निष्कर्ष तो निकल गया लेकिन हरजन हरि जैसा कैसे होगा ,प्रश्न यह है |हम लोग निष्कर्ष तो पढ़-सुन लेते हैं ,जब मौका मिलता है तो उसे सुना भी देते हैं ताकि लोग हमारी प्रशंसा करें |फिर हम उसे लिख भी देते हैं ताकि दूर-दूर से प्रशंसा मिले ,लेकिन निष्कर्ष को जीवन में अपनाने की सोचते भी नहीं इसलिए अहंकार बढाकर दुनिया से चले जाते हैं और फिर -पुनरपि जन्मम,पुनरपि मरणम |

हममें से बड़ी संख्या ऐसी भी है जो मानती है कि न नर्क है,ना स्वर्ग है और न चौरासी लाख योनियां हैं |

एक दिन बाबा हरदेव सिंह जी के प्रवचन लिख रहा था जिनमें महाराज फरमा रहे थे कि इंसान गुरु-पीर-पैगम्बरों की बातों पर ध्यान देने की बजाय उलटे -सीधे कर्म करता है |रावण- कंस और हिरण्यकश्यप को भी मात कर देता है क्यूंकि उसे पता नहीं है कि आत्मा को क्या -क्या भुगतना पड़ेगा ,इसका उसे अनुमान भी नहीं है |

हम गुरु की बातों को सुना-अनसुना करते रहे और उन्हें अपने अनुसार कहते सुनते रहे अपना अहंकार बढ़ाते रहे ,भूल गए उस निष्कर्ष-हरजन ऐसा चाहिए , हर ही जैसा होय |

निष्कर्ष तो यह भी है-ब्रह्मज्ञानी आप निराकार |यह असम्भव नहीं है |यदि गुरु ऐसा हो सकता है तो शिष्य भी ऐसा हो सकता है |ऐसे शिष्य हुए भी हैं, जिन्होंने दावा किया -अब तो जाय चढ़े सिंघासन...

जैसा कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि ब्रह्मज्ञान हमें बिलकुल सही मिला है लेकिन इसका अपने व्यावहारिक जीवन में विकास करना जरूरी है|फिर अनुभव कहेगा कि वे विचारक भी सही हैं जो कहते हैं कि इंसान का भविष्य परमात्मा होना है और बाबा जी ने भी सत्य कहा-हरजन हर ही जैसा होय | निष्कर्ष तो यह भी निकलता है हमारा वर्तमान भी परमात्मा ही होना है बशर्ते परमात्मा का बोध हो चुका हो |                   

- रामकुमार सेवक