दो कवितायें...








एक 

आने वाले हैं शिकारी मेरे गाँव में

जनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में


फिर वही चौराहे होंगे, प्यासी आँख उठाए होंगे

सपनों भीगी रातें होंगी, मीठी-मीठी बातें होंगी

मालाएँ पहनानी होंगी, फिर ताली बजवानी होगी

दिन को रात कहा जाएगा, दो को सात कहा जाएगा


आने वाले हैं मदारी मेरे गाँव में

जनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में


शब्दों-शब्दों आहें होंगी, लेकिन नक़ली बाँहें होंगी

तुम कहते हो नेता होंगे, लेकिन वे अभिनेता होंगे

बाहर-बाहर सज्जन होंगे, भीतर-भीतर रहजन होंगे

सब कुछ है फिर भी माँगेंगे, झुकने की सीमा लाँघेंगे


आने वाले हैं भिखारी मेरे गाँव में

जनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में


उनकी चिन्ता जग से न्यारी, कुरसी है दुनिया से प्यारी

कुरसी है तो भी खल-कामी, बिन कुरसी के भी दुष्कामी

कुरसी रस्ता कुरसी मंज़िल, कुरसी नदिया कुरसी साहिल

कुरसी पर ईमान लुटाएँ, सब कुछ अपना दाँव लगाएँ


आने वाले हैं जुआरी मेरे गाँव में

जनता है चिन्ता की मारी मेरे गाँव में

- राजेन्द्र राजन

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दो 

 उठो जागकर हर प्राणी में, ईश्वर का दीदार करो

भूत-भविष्य की चिंता छोड़ो-2, बर्तमान से प्यार करो,

मानव है सब  बनके मानव,  मानव सा व्यवहार करो।

पहले करनी, फिर कथनी,  ये पुरूषार्थ हम स्वयं करें,

अपने बोल का लाज रखें ,  दोहरा चरित्र हम दूर करें।

एक को जाने, एक को माने,इक का ही आधार धरो,

उठो जागकर हर प्राणी में....

कबीर रहीम तुलसी मीरा ने-2, भक्ति मारग अपनाया,

राम कृष्ण नानक ईसा ने, भक्ति धारा धरा पर लाया ।

काम क्रोध मद लोभ का, दिल से हम बहिष्कार करें,

अपने मन को खाली करके, निरंकार का आधार धरें।

संतुष्ट जीवन हेतु संतो,  शुकराने का व्यवहार करो,

उठो जागकर हर प्राणी में,....

इधर उधर मन जाएं तो, निष्काम भाव सेवा में लगाये,

खुशदिल हो इतना कि, पड़ोसी भी दुआ देने  आए।

सतसंग सेवा सिमरन से , जीवन  में   स्थिरता लाये,

स्वयं निरिक्षण करके दीपक, गुरुशिख पे विश्वास करें।

राम मिला है नर तन में तो, नारायण जैसा प्यार करो,

उठो जागकर हर प्राणी में,...

-अमरदीप (आजमगढ़)