रावण की आवाज़ - गुरविंदर सिंह बॉबी


 दशहरे पर रावण के पुतले में आग लगाने के लिए जैसे ही माचिस जलाई-

खबरदार.... जो किसी ने मुझे आग लगाई, रावण के पुतले की आवाज़ आई।।

जब पूरी दुनिया मुझ जैसे रावणों से भरी पड़ी है।

तो तुम लोगों को मुझे ही जलाने की क्यों पड़ी है?

मैंने तो केवल एक ही नारी को चुराया था और अंततः अपना ही सर्वनाश कराया था।

आज के समय में तो रोज़ाना हजारों नारियों के हरण हो रहे हैं 

तब तुम सब,

राम के चाहने वाले क्यों ,

जैसे घोड़े बेचकर सो रहे हैं?

इस भीड़ में है कोई ऐसा? जो अबला नारी की आवाज़ पर उसकी रक्षा के लिये आया हो,

है कोई जटायु? जिसने सीता के लिए अपने हाथों को कटवाया हो।

यदि नहीं तो फिर ये बबंडर क्यों?

असत्य पर सत्य की विजय के नाम पर आडंबर क्यों?

रावण का भयानक चेहरा चिल्ला रहा था,

लोगों में छिपे हुए रावणत्व का एहसास करा रहा था।

लोगों ने कहा बरसों से चली आ रही इस परम्परा को निभायेंगे-हम तो तुमको जलायेंगे, 

घर में चाहे अँधेरा रहे, मंदिर में दीपक जरूर जलायेंगे।

रावण बोला...खबरदार...! यदि जलाना ही चाहते हो तो पहले अपने दुर्गुणों को जलाओ,

पुतला दहन के नाम पर -मूर्खो, करोडो रुपये तो मत जलाओ |

मुझे जलाने वाला खुदबखुद जल जायेगा,

क्योंकि रावण को रावण नही जला पायेगा।

मुझे केवल वही जला सकता है, जिसने पराई नारी को कभी आँख उठाकर भी ना देखा हो।

पराई नारी का आकर्षण, जिसके लिए लक्षमण रेखा हो।

जिसने यत्र-तत्र-सर्वत्र राम को देखा है.  

रावण की चेतावनी पर एकदम शांति छा गई।

लोगों को बगलें झाँकने की नौबत आ गई।।

जब पुतले को जलाने की कोई भी हिम्मत ना कर पाया 

तो एक युवक उठा, आया...और उसने रावण के पुतले को फूंक दिया।।

और अपने चरित्रवान शिरोमणि होने का प्रमाण दिया।।

जय -जयकार करते हुए लोगों ने कहा....ये ही ईश्वर का सच्चा बन्दा है।।


पीछे से आवाज़ आई....

मूर्खो ,यह तो जन्मजात अंधा है।

यह  तो जन्मजात अंधा है।

सोच रहा हूँ मैं रह रहकर 

कि क्या आँख वालों में कोई चरित्रवान नहीं ?

हमें इस चुनौती को स्वीकार करना होगा 

अपने अपने मन को पवित्रता से भरना होगा |    

- गुरविंदर सिंह बाॅबी (दिल्ली)