प्रगतिशील साहित्य पाठक मंच द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन के लिए लिखी गयी एक अतुकांत कविता - केवल जश्न नहीं आज़ादी यह तो जिम्मेदारी है |


- रामकुमार 'सेवक'

जिम्मेदारी हमारी 

होती है हमेशा बहुत भारी ,

खासकर तब -

जब हो पैसे की लाचारी, और शरीर में बीमारी 

यह अलग बात है- कि

जब तक धरती पर वृक्षों का -और -

सिर पर बुजुर्गों का साया होता है 

हमारे पास -तब तक आशीर्वादों का सरमाया होता है |

हम बिना रोक-टोक ,बेख़ौफ़ अपनी बात कहते हैं 

और-आतंक की धूप से बचे रहते हैं 

लेकिन-

बुजुर्गी -बुढ़ापे की संपत्ति नहीं है,बल्कि -

यह तो तल्ख़ और मीठे तजुर्बों से भरी 

ज़िन्दगी की कोख से जन्म लेती है,

अनुभवों की खेती है,

इसलिए बुजुर्ग कहते हैं-क़र्ज़,मर्ज़ और फ़र्ज़ -कभी छोटे नहीं हुआ करते 

लेकिन गैरजिम्मेदार लोग 

इन बातों पर कान नहीं धरते-

और- शरीर के मरते ही -तुरंत मरते 

इसके विपरीत 

जो जीवन को सत्कर्मो से सजाते हैं 

नहीं कौरवों के बाहुबल से घबराते हैं 

संकल्पों को कर्म में ढालकर 

जीवन को,कुरुक्षेत्र का मैदान बनाते हैं,

समस्या से भागते नहीं बल्कि हिम्मत दिखाते हैं,हाथ मिलाते हैं,

कमजोर को भी देते हैं हौसला 

हर कठिनाई से आँख मिलाते हैं,

हर चुनौती को 

सफलता से झेल जाते हैं और इसीलिए शायर इक़बाल कहते हैं-

कुछ बात है कि हस्ती मिटती  नहीं हमारी 

सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा 

हम भारतीय करते हैं -हर मुश्किल का मंथन और बनाते हैं संतुलन 

इसीलिए जीवन में -नहीं हुआ करती दुश्वारी 

हम भारतीय हिम्मत से करते हैं चौकीदारी देश की,

ज़रुरत पड़ने पर सत्ता से भी टकराते हैं -लेकिन -

देश से वफादारी निभाते हैं |

सावधान रहते हैं- 

हिम्मत से करते हैं, चौकीदारी देश की,

सिर्फ दुश्मनो से ही नहीं,दोस्तों से भी  क्यूँकि -

दोस्त सदा दोस्त नहीं रहता और दुश्मन ,सदा दुश्मन 

इसलिए साफ़ रखो -अपना मन 

भरोसा तो करो लेकिन आँख खोलकर 

आँख खुली रहेगी तो आत्म भी बचेगा और विश्वास भी 

विश्व , देश तथा समाज भी 

बंद मुट्ठी -बंद रहेगी हमारी 

बची रहेगी खुद्दारी 

कभी नहीं-घेरेगी लाचारी,दुश्वारी,बीमारी 

इसीलिए-समझना होगा कि-

आज़ादी नहीं है-ऊंचे -ऊंचे नारों में सीमित जश्न या 

दलगत हितों को सुरक्षित रखने का प्रश्न 

या अगले चुनावों को जीतने की तैयारी 

छिपे हुए मानवता विरोधी संकल्पों को पूरा करने का कुत्सित आचरण 

या लोकतंत्र का सिर्फ आवरण -

यह तो आवश्यकता है 

संतुलन बनाये रखने  और 

राष्ट्र निर्माण में सहयोग की हिस्सेदारी है 

आज़ादी राष्ट्रीय गरिमा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी है  |    

आज़ादी राष्ट्रीय महिमा को सुरक्षित रखने की पहरेदारी है,

केवल जश्न नहीं आज़ादी यह तो जिम्मेदारी है |