दो गज़लें - सुरेश मेहरा, वरदान मेहरा

प्रगतिशील साहित्य को गति देने में योगदान देने वाले कवि मित्र श्री सुरेश मेहरा के बेटे नवोदित तबलावादक वरदान मेहरा का आज जन्मदिन है, प्रगतिशील साहित्य पत्रिका की ओर से हार्दिक शुभकामनायें 


इस अवसर पर प्रस्तुत है दो गज़लें -  

ग़ज़ल (1)
बचपन के जाते ही घर का भार मिला
किस औरत को जीते जी इतवार मिला
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई उत्तर दें
मर्दों को ही क्यों इतना सत्कार मिला
अपनी बच्ची आज कहाँ ले जाए वो
जिस औरत को लुच्चा पहरेदार मिला
मर्दों को घर-बार दिया जिस औरत ने
उसको बदले में कोठा बाज़ार मिला
सदियों-सदियों से बतलाओ धरती पर
मर्दों सा किस औरत को अधिकार मिला
- सुरेश मेहरा

ग़ज़ल (2)

कितना सुन्दर जाती चिड़िया
भोर हुई बतलाती चिड़िया |

कोरोना से डरने वालों
टावर से घबराती चिड़िया |

उसके घर में खुशहाली हो,
जिसके घर भी जाती चिड़िया |

ऐ पिंजरे में रखने वालों
किसको दुःख पहुंचाती चिड़िया |

सिमरन से बातें करती है
जब मेरे घर आती चिड़िया |

- वरदान मेहरा