
केवल जश्न नहीं आजादी, यह तो जिम्मेदारी है
- वेद रहेजा (गुड़गाँव)

बड़ी शिद्दत से मिली आज़ादी कम ख़ुशी की बात नही |
संघर्षों की देन है ये ,कोई मुफ़्त मिली सौग़ात नही |
पानी नही वो रक्त था निकला देशप्रेमियों के सीनो से |
कितनी ज़िल्लत सहके मिली मुक्ति हमें उन चोरों से |
फाँसी, गोली व ख़ून से सींची ये फूलो की क्यारी है...
भूख का कितना दर्द सहा मेरे देश की ख़ुद्दारी ने ,
ग़ुलामी की जकड़न को झेला भारत माता प्यारी ने ,
सैंकड़ों वर्षों बाद जो राहत मिली देश के लोगों को ,
मुक्त हुए पर फिर से पाला ख़ुदग़र्जी के रोगों को |
धर्म के नाम पे दंगे करना ये कहाँ की समझदारी है...
बेशक जश्न-ए-आज़ादी का , लुत्फ़ उठाना हक मेरा
पर आज़ादी रहे सलामत ये भी तो है फ़र्ज़ मेरा
भ्रष्टाचार से दूर रहूँ मैं देश के हित की बात करूँ
लाचारों की जेब काट मानवता से न घात करूँ |
लग गई गर ये लत मुझको तो पड़ भी सकती भारी है|
तोड़ू ना क़ानून कोई ,ना मर्यादाओं को भंग करूँ|
एक प्रभु के बच्चे हैं सब,ना जात- पात का रंग भरूँ|
गंदगी ना फैलाऊँ कहीं और पर्यावरण की रक्षा हो |
अमन- शान्ति से महकी मेरे देश की हर व्यवस्था हो |
करूँ हिफ़ाज़त सच्चे मन से,वतन की धरती प्यारी है...
आम नागरिक हूँ या नेता, चाहे बिजनेसमैन हूँ मैं |
माँ भारती के दिल को अक्सर क्यों करता बेचैन हूँ मैं |
कभी धरने तो कभी आक्रमण नुक़सान देश का करता हूँ |
अपने हित को आगे रख विकास मे बाधक बनता हूँ|
‘वेद’ रहूँ मैं वफ़ादार चाहे नौकरी मेरी सरकारी है...
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- मीरा सिंह 'मीरा' (डुमराँव)
केवल जश्न नहीं आज़ादी,
यह तो जिम्मेदारी है ।
इस पर कुर्बान होने की
आज हम सब की बारी है।
विजयी विश्व तिरंगा झंडा
लहर -लहर लहराता है ।
गांधी- सुभाष,आज़ाद- भगत
सपनों की याद दिलाता है।
जाति- मजहब की दीवारें
ढाने में ही समझदारी है।
केवल जश्न नहीं आज़ादी ,
यह तो जिम्मेदारी है।
मयस्सर हो सबको रोटी
हो सबके सिर पर पक्की छत।
सुख- समृद्धि- आजादी पर
सबको मिले बराबर हक।
माटी का कर्ज चुकाने की
आई हम सबकी बारी है।
केवल जश्न नहीं आज़ादी
यह तो जिम्मेदारी है।।
निर्धन का नित शोषण होता ,
खुलकर होती हकमारी है।
युवाओं में है घोर निराशा
मुंह खोल खड़ी बेकारी है।
सत्ता की खुमारी में विस्मृत
सतरंगी वादों की पिटारी है।
केवल जश्न नहीं आज़ादी
यह तो जिम्मेदारी है।
मुश्किल से मिली आजादी की
करनी हमको रखवारी है।
कर्म सभी वो करने होंगे
जो सबके हितकारी हैं ।
गरीबी, भूखमरी, बेकारी से
रखनी जंग अभी जारी है।
केवल जश्न नहीं आज़ादी,
यह तो जिम्मेदारी है।
केवल जश्न नहीं आज़ादी यह तो जिम्मेदारी है