
वक़्त का रहबर ये चाहता है हम दुनियाँ में प्यार फैलाएँ |
प्यार के बीज दिलों में बोकर एक अनोखी फ़सल उगाएँ |
नम्रता जल से सींच-सींचकर हर पौधे को हम महकाएँ |
समदृष्टि की खाद डालकर फ़सल को हम ख़ुशहाल बनाएँ |
सत्गुरु की किरपा बरसेगी प्यार की पैदावार बढ़ाएं...प्रीत नम्रता और समदृष्टि जीवन का आधार बनाएँ |
त्रैलोकी - मालिक होकर भी, ख़ुद को दास बताता आया |
प्रीत- नम्रता का ये मुजस्मा सब को प्रीत सिखाता आया |
धीरज से यह सब की सुनकर प्यार से गले लगाता आया |
अपनी मधुर मुस्कान बिखेर के सब के ग़म मिटाता आया |
इसकी इन्हीं अदाओं को सब, हम भी जीवन में अपनाएँ...प्रीत नम्रता और समदृष्टि जीवन का आधार बनाएँ |...
युग सुन्दर, सदियाँ सुन्दर ,गर मानव जीवन बन जाये सुन्दर |
यही सदा अभिलाषा रहती, है इस रहबर के दिल अन्दर |
जहाँ प्यार है वहीं प्रभु है जहाँ प्रभु वो मन है मन्दिर |
देख रहा है खुली आँख से सपना आज का ये पैग़म्बर |
आओ इसके सपने को हम मिलजुल कर साकार बनाएँ...प्रीत नम्रता और समदृष्टि जीवन का आधार बनाएँ |...
सतगुर के सपने ही तो ,युग बदलने वाले होते हैं|
किसी और की ,कहाँ आँख में पलने वाले होते है|
प्यार के दीप नही हर दिल में जलने वाले होते है |
अज्ञान अन्धेरे गुरु बिना नही ढलने वाले होते हैं |
इसके ज्ञान की धुन से अपनी ,आओ हम पदचाप मिलाएँ...प्रीत नम्रता और समदृष्टि जीवन का आधार बनाएँ |
आँख गुरु की से सब देखें तभी लगेंगे एक बराबर |
रंग- नस्ल के भेद ना होंगे जात-पात की फटेगी चादर |
बात समझ में आ जाएगी क़ुदरत का बस एक है कादर|
नफ़रत का विष उलट के फिर से ,प्यार से भरनी होगी गागर|
स्वर्ग का नक़्शा बनेगी दुनिया ‘वेद’ अगर ये गुर अपनाएँ...प्रीत नम्रता और समदृष्टि जीवन का आधार बनाएँ |...
- श्रीमती वेद रहेजा
-----------------------------------------------------------------------------------------
