मुझे यह देखकर हैरानी होती है कि कुछ लोग हमारी प्राचीन परम्पराओं के विरोध को ही प्रगतिशील होने का प्रमाण मानते हैं जबकि ऐसा है नहीं – अच्छी चीजें हर काल में अच्छी हैं और जो बुरी चीजें हैं वो हर हाल में खराब हैं | प्रगतिशील होने का अर्थ है - यथार्थवादी होना | सच्चाई को मन से स्वीकार करना |
आज (4 नवम्बर 2020) करवा चौथ है | करवा चौथ का ज़िक्र आता है तो मेरे मन में सीधे तौर पर एक ख्याल आता है कि करवा चौथ का त्योहार, पति - पत्नी के बीच एक पुल है, जो दोनों को जोड़ता है | चूँकि त्योहार पत्नी रखती है तो उसकी मज़बूती ज़्यादा है लेकिन पति को पत्नी के आदेश का पालन करना ही है इसलिए उसकी आस्था भी कुछ कम कमज़ोर नहीं है |
मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि कई व्यक्ति ऐसे हैं जो कि करवा चौथ का पुरजोर शब्दों में इस प्रकार विरोध करते हैं जैसे वो सब पापी हो जिनकी इस त्यौहार में आस्था है |
मुझे करवा चौथ से कुछ लेना - देना नहीं है लेकिन यह वैलेंटाइन डे से लाख दर्जे अच्छा है |
1. पहला तर्क यह है कि यह मर्यादित है | यह पति - पत्नी के सम्बन्धो में गहराई लाता है | ऐसा एहसास होता है कि कोई हमारे लिए कुछ कर रहा है इसलिए उस व्यक्ति के लिए हमें भी कुछ करना चाहिए |
वैलेंटाइन डे की विशेषता ही यह है कि इस दिन कोई भी युवक किसी भी युवती से प्रेम निवेदन कर सकता है और ऐसा माना जाता है कि वह उसके निवेदन को अपमानित नहीं करेगी हाँ उसे अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित है – वह निःसंकोच ऐसा कर सकती है | इस स्थिति में दोनों के लिए ही जोखिम है – युवक प्रायः हिंसक हो जाते हैं और युवती असुरक्षित |
आप स्वयं तय कर सकते हैं कि कौन बेहतर है |
2. इसमें स्थायित्व है | करवा चौथ जिस व्यक्ति के लिए रखा जाता है, उम्र भर उसी के लिए रखा जाता है | उसके पात्र कभी बदलते नहीं हैं |
वैलेंटाइन डे तो शादी से पहले का स्वर्ण अवसर माना जाता है | यदि युवती मान ले तो फिर उपहारों का सिलसिला शुरू होता है और यदि युवक की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है और युवती के पास यदि दूसरा मजबूत ऑप्शन है तो दोनों ही किसी और के साथ हो जाते हैं इसलिए स्थायित्व तो होता नहीं |
फिर स्थिति यह भी है कि विवाह प्रायः माता-पिता तय करते है और उनमें आजकल कैरियर की काफी बड़ी भूमिका है इसलिए प्रायः विवाह कहीं और होते हैं और वैलेंटाइन के आधार पर बने सम्बन्ध खत्म |
इस प्रकार स्थायित्व का पूर्णतः अभाव है |
3. करवा चौथ में गरिमा है | वह प्रेम का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं है बल्कि घर के भीतर दिल से मनाया जाता है | किसी प्रकार की शर्मिंदगी उसमें नहीं है |
दूसरी ओर कल मैंने कई युवतियों को अनेको युवको की बाइक पर पीछे बैठे देखा जो नकाबपोश बनने की कोशिश में थी कहीं कोई परिचित देख न ले और घर पर शिकायत न हो जाए या लोग क्या कहेंगे | यह शर्मिंदगी का भाव आनंद तक कभी पहुँचने ही नहीं देगा | इस दृष्टि से भी करवा चौथ की जड़ मजबूत हैं |
4. मैंने देखा है कि ऐसी स्त्री जो बनाव श्रृंगार से दूर रहती हो वह भी करवा चौथ के दिन अपने पति के लिए सजने सँवरने से गुरेज नहीं करती | इस प्रकार सुंदरता की प्रतिष्ठा होती है और रचनाशीलता को प्रोत्साहन मिलता है |
वैलेंटाइन डे में शामिल युवती पहले ही डरी हुई होती है | बहुत ही आशंकित होती है इस मनोवस्था के कारण वह चाहकर भी इस दिशा में बहुत अधिक बढ़ नहीं पाती – दूसरी ओर करवा चौथ मनाने वाली स्त्री शेरनी की तरह दिल खोलकर सजती - सवरती है | उसे न भय होता है न आशंका | उसके पीछे परिवार भी होता है और समाज भी | पति भी उसे नमस्कार करने को विवश होता है क्यूंकि उसका त्याग बड़ा होता है | वह नारी शक्ति का पूरा प्रतिनिधित्व करती है |
5. करवा चौथ की परम्परा हमें अपनी जड़ो से भी जोड़ती है और हम किसी न किसी रूप में अपनी भारतीय संस्कृति के निकट आते हैं |
वैलेंटाइन डे तो कुछ साल पहले ही भारत में आया है | उसकी पूरी मजबूती संचार माध्यमो और उपहारों के व्यवसाय करने वालो के कंधो पर टिकी है | संचार माध्यम और उपहारों का व्यवसाय करने वाले पूरी लगन से इसकी जडे जमाने में लगे हैं लेकिन इसका आधार ही कमजोर है इसलिए यह कभी भी करवाचौथ जितना गहरा नहीं हो सकता |
6. जो लोग इसे पैसे से जोड़ते हैं वे स्वयं देख सकते हैं कि गरीब से गरीब स्त्री भी इस दिन अपने प्रिय के लिए कुछ करने में गौरव का एहसास करती है और दूसरी तरफ पति भी एहसास करता है कोई है जिसे उसकी जरुरत है |
कम से कम एक वोट तो पक्का है |
वैलेंटाइन डे में युवक - युवतियों के कई - कई प्रेमी - प्रेमिकाएं होते हैं | पैसे का दखल वहां ज्यादा है | वहां हैसियत कम या ज्यादा होने का एहसास तो हो सकता है – गौरव का बिलकुल नहीं क्यूंकि उसमें उतनी गहराई है ही नहीं |
7. करवा चौथ सामाजिक ढाँचे को मजबूत करता है | माता - पिता के सम्बन्ध गहरे होंगे तो बच्चो के रिश्ते भी गहरे होंगे और पारिवारिक ढांचा मजबूत होगा | इसके विपरीत वैलेंटाइन डे का समय तो माता - पिता बनने तक प्रायः खत्म ही हो जाता है क्यूंकि आजकल ऐश-ओ-आराम के दौर में कोई सोचता भी नहीं कि -
चांदनी चाँद से होती है सितारों से नहीं,
मुहब्बत एक से होती है हजारो से नहीं
अंत में मैं यही कहना चाहँगा कि करवा चौथ की जड़ें बहुत गहरी हैं इसलिए भारतीय संस्कृति के पक्षधर लोगो को घबराना नहीं चाहिए और जो वैलेंटाइन डे मनाना चाहते हैं उनके प्रति हिंसक नहीं होना चाहिए | यह याद रखना चाहिए कि दमन से कोई चीज खत्म नहीं होती बल्कि और बढ़ती है इसलिए बेहतर है अपने तर्क दें और वैलेंटाइन डे के पक्षधरों अपने तर्कों से निरुत्तर करें न कि जोर-जबरदस्ती से।
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