दस सर वाला है वो
तेरे मेरे ज़हन में, एक जीव रहता है.
दस सर वाला है वो, खुद को रावण कहता है.
"तू सोच न कुछ बाद, कहता जा,
तू उसको छलनी ,करता जा.
तू ही है सही, तू ही है बड़ा!!
"धीरे से मुझसे कहता है.
दस सर वाला है वो, खुद को रावण कहता है.
"तुझको क्या ज़रुरत अपनों की,
क्या कीमत तेरे सपनों की.
तेरा तो बस ये पैसा है!!
"हंकार से मुझसे कहता है.
दस सर वाला है वो, खुद को रावण कहता है.
"तू आख़िरकार मूरख बन ही गया.
तेरा अपना कोई रह ना गया.
अब तू बिलकुल अकेला,
तू रावण का चेला है!"
प्रतिकार से मुझसे कहता है.
दस सर वाला है वो, खुद को रावण कहता है.|
" सुन रावण, अब बहुत हुआ!
तेरे कारण मेरा सब खोया!
आज तुझे मैं मिटाऊंगा !
इस अहम् को ख़त्म कर, तेरी चिता जलाऊंगा !"
कितना भी धनवान बने, हर कोई नश्वर होता है.
दस सर वाला रावण भी एक दिन नष्ट होता है