मेरे बेटे ने मुझसे पूछा
सत्यमेव जयते इसका मतलब क्या है
ऐसा क्यों है कहते सत्यमेव जयते
इस विषैले दौर में, भ्रष्टाचार के शोर में,
मैं कैसे कहूं सत्य की जीत होती है
कहीं वह मुझसे दूसरा प्रशन ना कर लेता
कि सरकारी दफ्तरों में काम नहीं होता
गर होता है तो बिना दाम नहीं होता
जूतियां घिस जाती हैं
सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाते लगाते,
मगर उनको शर्म नहीं आती
जनता को भगाते भगाते,
यहां तो असत्यमेव जयते
कैसे कहूं सत्यमेव जयते
जब रक्षक बन जाए भक्षक
आज अपराधियों और नेताओं के ऐसे करार हैं
निर्दोष जेल में बंद और दोषी जेल से बाहर हैं
न्यायालय के मंदिर में भी कहां इंसाफ है
जज हो या वकील सभी तो नेताओं के हाथ हैं
जहां झूठ की भरमार हो
इंसानियत शर्मसार हो
फिर अगला प्रश्न बेटे ने मुझसे पूछा
सत्यमेव जयते हर कोई है कहता
मगर सत्य की राह पर कौन है रहता
यूं तो विजयदशमी जो सत्यमेव जयते का प्रतीक है
बतलाओ रावण का पुतला जलाना कहाँ का ठीक है
उस बेचारे ने एक सीता चुराई है
जिसकी सजा आज तक पाई है
आज हर रोज एक नहीं सैकड़ों सीता चुराई जाती है
बतलाओ उनके पुतले में कहां आग लगाई जाती है
अपराधियों की दुनिया निखर रही है
और मानवता बिल्कुल बिखर रही है
जवाब में मैंने बेटे से कहाँ
रावण को मिटाने एक दिन राम जरूर आता है
जिंदगी के अंतिम पड़ाव में सत्य ही काम आता है
सत्य की जब एक किरण
सिर अपना कहीं उठाएगी,
चीर कर सीना अंधकार का
केवल रोशनी ही मुस्कुराएगी,
फिर जरूर कोई वीर योद्धा यहां आएगा
जो इन भ्रष्ट नेताओं से मुक्त कराएगा
मेरा भारत महान होगा
और जनता का राज आएगा
देखना फिर एक नई रीत होगी
झूठ हारेगा और सत्य की जीत होगी
फिर कहेंगे बड़े शान से
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
- विनोद कवि
गोविंदपुरी कालकाजी, नई दिल्ली