आओ ऐसा दीप जलाएं...


 

प्रेम का तेल हो, विशालता की बाती

 

ज्ञान का उजाला हो,सदा अपना साथी

 

पूरब-पश्चिम ,उत्तर -दक्षिण

 

सब में जो उजियाला लाये ,आओ ऐसा दीप जलाएं...

 

 

जहाँ नहीं कोई रोजगार है ,

 



उस घर में तो अंधकार है |

 

वही चुनौती है हम सबकी ,

 

जिसको कहते अहंकार है |

 

जो दीपक अब तक सूना है,

 

उससे अपना स्नेह छुआएं ,आओ ऐसा दीप जलाएं...

 

 



दीप जले,मुस्कान रूप में

 

अज्ञान अँधेरा हटे धूप में

 

जो जीवन की दिव्य ज्योति है,

 

विश्व विधाता ह्रदय बसाएं ,आओ ऐसा दीप जलाएं...

 

 



अज्ञान नींद से गर जागेगा

 

सबको जब अपना मानेगा

 

खोलेगा ख्यालों की खिड़की

 

संकीर्णता को जब त्यागेगा

 

प्रगतिशील विचार बनाकर

 

जीवन में खुशबू फैलाएं-,आओ ऐसा दीप जलाएं...