सत्यमेव जयते शीर्षक पर 24/10/2020 को आयोजित प्रगतिशील पाठक मंच के कवि सम्मेलन में पढ़ी गयी रचनाएँ (तीन)

 

सत्यमेव जयते

 

असत्य पर सत्य की विजय का पर्व 

फिर से मनाया जायेगा

मन कि लंका में छिपे अहम के

रावण को बचाकर

सिर्फ कागजी पुतला जलाया जायेगा।

 

पर इस बार रावण 

चुप नहीं रहेगा

राम से शायद यही कहेगा

मुझे यदि मारना है तो पहले 

मास्क लगाकर आओ

कोरोना का समय है

हाथ धोकर

बाण चलाओ।

ऐसा नहीं किया तो 

हे राम तुम्हारी कीर्ति को 

धब्बा लग जायेगा,

और रावण तुम्हारे हाथो नहीं

कोरोना से मारा जायेगा।

 

ओर मैंने तो एक चेहरे पर 

अनेक चेहरों वाला 

मास्क 

सदियों से लगा रखा है

नफरत, ईर्ष्या, घृणा, अहंकार 

वाले मास्क पर इंसानी चेहरा

लगा रखा है।

रामलीला वाला कोई राम

कभी मुझको मार ना पायेगा।

 

महामारी के इस वक्त में

सरकारी ये फरमान है

दो गज की दूरी जरूरी है

हर और ये ऐलान है।

यदि 

मानव सावधानी रख 

वायरस कि तरह अहम से भी 

दूरी को बढ़ाता 

राम की  तरह विनम्र होकर

झुक जाता

तो रावण को जलाना ना पड़ता

अहम का रावण स्वयं है मर जाता

 

फिर कोई वायरस अहंकार का

मानवता को ना गिरा पाता

सत्य हमेशा 

विजयी होता

इसको ना कोई हरा पाता।

 

और विजय दशमी का यह पर्व

एक दिन नहीं

हर रोज मनाया जाता।

 

- धन प्रकाश 'मेघ'