हिंदी दिवस की पूर्वसंध्या पर प्रगतिशील साहित्य मंच (दिल्ली) द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में पढ़ी गयी कवितायेँ (चार)

राष्ट्रभाषा


के जन्मदिवस पर


अनंत शुभकामनायें 



आशा - निराशा, बोली - भाषा,


इक पल तोला, इक पल माशा


कभी उजाला, कभी कुहासा


आजकल कुहासे का जोर है ,


क्यूंकि भाषाएँ हो चुकी हैं-मौन


और जो - सुनाई दे रहा है -कानो में-


वह अहंकार का शोर है |


इस प्रकार - हिंदी के राष्ट्रभाषा होने का - जन्मदिन मनाना


है कठिन बहुत -लेकिन मनुष्य का काम है - एक - दूसरे की उलझनों को सुलझाना


और मानवता को आगे बढ़ाना


लेकिन - गांधीवाद, गोडसेवाद


राष्ट्रवाद, समाजवाद, प्रान्तवाद


धर्मवाद - जातिवाद


की ज़ंजीरों में जकड़े-हम मनुष्य


कर रहे हैं निरंतर - नफरत का संवाद


और कर रहे हैं वाद - विवाद


इसी का परिणाम है - कहीं बड़ा फसाद,कहीं छोटा फसाद  


साम्प्रदायिकता - ज़िंदाबाद, मानवता - मुर्दाबाद  


हर कहीं विषाद - विषाद तो दुःख  है,


दहेज़ की चिंता में झुलसता, बेटी का मुख है |


भाइयों का झगड़ा है, कोई अगड़ा है, कोई पिछड़ा है -


भाषा के बारे में सोचता हूँ


तो ख्याल आता है कि-


चिड़िये न जाने कौन सी भाषा में गाती हैं


लेकिन गीत बहुत मधुर सुनाती हैं,


लेकिन - उन्हें सुनने वाला आदमी


न जाने क्यों


ममता की, प्रेम की


शांति की, समता की भाषा


की मिठास नहीं समझ पाता


और नारे लगाता -


बिहार वाले मुंबई छोड़कर चले जाएँ


और उत्तर वाले, दक्षिण में नज़र न आएं


मंदिर वाले लाहौर छोड़कर चले जाएँ और


मस्जिद वाले हिंदुस्तान छोड़कर चले जाएँ


मारने-काटने, लूटने पीटने की - जो भाषा है ,


वह मनुष्य को गौरवान्वित करने वाली नहीं


बल्कि उसे शैतान सिद्ध करने वाली,


शैतानी की दुखद परिभाषा है |


हिंदी, सिंधी, हरियाणवी, मराठी


कह रही हैं - हम लोगों से -


तोड़ दो - अहंकार की अंधी लाठी


ताकि -


तेलुगु - तमिल का जन्मदिन मनाये


और- मलयालम,उड़िया ख़ुशी से ताली बजाये,


कन्नड़ भाषा, भारतमाता की,


वही पुरानी,बचपन की गुड़िया सजाये


और - उस गुड़िया की -


मिलवर्तन के दूल्हे से - धूम - धाम से शादी रचाये 


शादी में जर्मन, फ्रेंच,डच और पश्तो को भी बुलाये ,


तब ज्ञान का भंडार अनंत होगा -जिसे


पाने वाला हर व्यक्ति सन्त होगा


जिस हिंदी में कबीर ने सबद हैं सुनाये,


सूरदास ने कृष्णभक्ति के भजन गुगुनाये


हम भारतीय


हिन्दू-मुसलमान, व्यापारी - किसान


पिछड़े - महान


और-इन सबसे पहले - इंसान |


परमात्मा के बेटी - बेटे बनकर


प्यार भरा जीवन जी पाएं -


सुनो


भाषाएँ कभी नहीं लड़तीं


भाषाओँ के नाम पर - इंसान लड़ते हैं  


लड़ाई की रुस्वाई से - न जीवन व्यर्थ बनायें


होली के हुलियारे, ईद के त्यौहार पर


इक-दूजे को गले लगाएं


राष्ट्र भाषा हिंदी के जन्मदिन पर - अमन - एकता की 


हार्दिक शुभकामनाये , अनंत शुभकामनाये...