हिंदी दिवस की पूर्वसंध्या पर प्रगतिशील साहित्य मंच (दिल्ली) द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में पढ़ी गयी कवितायेँ (दशम)

नज्म


तुमको मनाने से रहा !



दिल की हर बात को मैं सबको बताने से रहा,
अपने जख्मो की नुमाइश मैं लगाने से रहा,


हो सके तो मेरी बातों पे भरोसा कर लो,
चीर के दिल मैं तुम्हे अपना दिखाने से रहा,


पढ सको तो मेरी आंखों का कसीदा पढ लो,
अपने होठों से तो मैं कुछ भी जताने से रहा,


तुम जो डूबो तो मै आवाज लगा सकता हूॅ,
कूद कर मै तुम्हे दरिया में बचाने से रहा,


मेरी कोई बात बुुरी गर लगे तो मुॅह पे कहो,
बेसबब रूठने पे तुमको मनाने से रहा,


अपनी इतरा रही जुल्फों का जरा ध्यान धरो,
इसे रूख्सार से ‘‘जतन‘‘ तो हटाने से रहा,


अश्वनी कुमार 'जतन'


- अश्वनी कुमार 'जतन'
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश