ग़ज़ल

 

तेरी ही दुआ ने बचाया है मुझको

यूं दुनिया के काबिल बनाया है मुझको

 

दिया प्यार अपना ये तेरा करम है

गले से तुम्हीं ने लगाया है मुझको

 

मुहब्बत पे अपनी कभी शक न करना

तुम्हीं ने सबक ये पढ़ाया है मुझको

 

ये दरबार आला दिया है तुम्ही ने

खुदा घट में बसता दिखाया है मुझको

 

किसी से कभी भी मिला न सहारा

तुम्हीं ने ही गोदी बिठाया है मुझको

 

करूं सब का आदर सभी से मुहब्बत

मुहब्बत का नगमा सुनाया है मुझको

 

गिरा जा रहा था मैं माया भरम में

यूं दलदल से रहबर निकाला है मुझको

 

किसी की जफा ने कहीं का न छोड़ा

तुम्हीं ने तो जाना संभाला है मुझको

 

तेरे आसरे ही मैं आया हूं "सागर"

सफ़ीना किनारे लगाना है मुझको

 

- गोपी डोगरा "सागर"