अगर हर-एक से रिश्ता निभाना
तो यारो मत किसी को आज़माना
जहाँ काँटों का होगा आशियाना
वहाँ फूलों का भी होगा ठिकाना
है जिसका मुंतज़िर सारा ज़माना
यकीनन शख़्स वो होगा सयाना
तमन्ना हो जिसे मंज़िल की यारो
चराग़ों की तरह रस्ता दिखाना
शहद को देखकर लालच के पुतलों
मधुमख्खी को हरगिज़ मत भुलाना
शरीफ़ों छोड़ दो बदमाशियों को
बहुत महँगा पड़ेगा दिल लगाना
रहा जो चुप ख़ुदा से कम नही वो
जिसे तक़लीफ़ देता ये ज़माना
चालाकी
जिस दिन
किसी ग़रीब कन्या की शादी के मौक़े पर
उसके माता या पिता को
आप
बिना नाम लिखे
एक बन्द लिफ़ाफ़े में
ढेर सारे रुपए
शगुन के रूप में दे आए
उस दिन समझिएगा
सही मायनों में
आपको
चालाकी करनी आ गई ।
--सुरेश
- सुरेश भारती