मेरा सलाम
ग़र वो मिले तो उनसे मेरा सलाम कहना

फिर धुन कोई बजा के, तुम ये पयाम कहना


 

किस नाम से बुलाना अब क्या तुम्हें बताऊँ

वो हर नाम से है बढ़ कर किस नाम से बुलाऊँ

कहूँ चंदा उसको या आफ़ताब कह दूँ

कुछ सूझता नहीं है, तुमको मैं क्या सुझाऊ

तुम कुछ भी नाम लेकर फिर मेहरबान कहना

फिर धुन ......

 

जाने से तेरे प्रीतम जल में नही रवानी

डसने को दौड़ती है मुझ को फ़िज़ा सुहानी

तेरे संग जो बनी थी, कभी मेरे दिल की रौनक़

वो शूल सी चुभे है, अब रात भी सुहानी

ये है मेरे दिल की हालत, इसे ना कलाम कहना

फिर धुन...

 

बिरहा में बाँवरी हो, जब गीत कोयल गाये

दामन को छू के गुल के भँवरा जो धुन सुनाये

यादों का मेरे दिल में, उठता तूफ़ान है तब

किस कदर क्या बताऊँ तेरी याद जब सताये

यादों से खेलती हूँ सुबह से शाम कहना

फिर धुन....

 

इक राज़ उससे कहना तू है मेरा सरमाया

जीवन है तू ही मेरा कविता तुम्हारा साया

तुझे और क्या बताऊँ तूँ भी तो है पराया

जीती हूँ कैसे उस बिन हालत तमाम कहना

फिर धुन....