इस बार की दीपावली का सन्देश


  दीपावली का मौसम बहुत उत्साहवर्धक होता है |इस उत्साह का इस सच्चाई से कोई सम्बन्ध नहीं कि मेरा जन्म जिस परिवार में हुआ ,वह हिन्दू था और है |मोटे तौर पर देखें तो दीपावली हिन्दुओं का त्यौहार है लेकिन मेरे उत्साह के जो कारण हैं उनमें यह कोई बड़ा कारण नहीं है कि यह हिन्दुओं का त्यौहार है बल्कि धर्म के सम्बन्ध में मेरे जो विचार हैं उनका आधार है -मानव और मानवता |जिस विचारधारा का मैं अनुयाई हूँ वो कहती है-


  न हिन्दू,न सिख ईसाई ,न हम मुसलमान हैं 
  मानवता है धर्म हमारा ,हम केवल इन्सान हैं |


  तथा


  धर्म की बातें करने वाले हर हैवान से कह देना  -
  धर्म है बस इन्सां होना ,कोई और धर्म-ईमान नहीं |


  इसका अर्थ जो मुझे समझ आता है,वह है-मानवीय प्रेम | अपने आपको सबसे पहले वही महसूस करना जो हमें परमेश्वर ने बनाया अर्थात इंसान |


  डॉ.ज़फर मुरादाबादी मेरे पुराने सहकर्मी हैं |वर्ष 2011तक हम दोनों एक ही प्रकाशन सस्थान से जुड़े रहे |वे उर्दू की पत्रिका से जुड़े थे और मैं हिंदी की पत्रिका से |कुछ चीजें हिंदी और उर्दू में एक सी होती थीं इसलिए हमारा मेल होता था |उर्दू के शायरों की वे एक संस्था भी चलाते हैं |दोपहर उन्होंने मुझे दीपावली की शुभकामनाएं भेजीं तो पुराना सम्बन्ध नया हो गया |


  मेरे जो दोस्त दीपावली को सिर्फ हिन्दुओं तक सीमित रखते हैं,उनकी सेवा में विनम्रता पूर्वक मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि डॉ.ज़फर यह समझते कि दीपावली हिन्दुओं का सीमित त्यौहार है तो वे मुझे शुभकामना क्यों भेजते ?धर्म के आधार पर तो मेरा-उनका कोई सम्बन्ध अस्तित्व में ही नहीं आता हाँ ,मानवता के आधार पर जरूर अस्तित्व में आता है,और यह अस्तित्व वर्षों बाद भी बना रहता है |


  मान सिंह जी मान जन्म से तो सिख थे ,वे मेरे कविता के शिक्षक थे,उस्ताद थे और पिता की भांति मुझे संरक्षण देते थे |मेरे घर के सामने एक सिख परिवार रहता है ,उनका बेटा मेरे बेटे का बचपन से ही मित्र है |उनके घर में दीपावली की रोशनी सजी हुई है |मुसलमान और सिख इन दोनों समुदायों के ये लोग दीपावली की ख़ुशी महसूस कर रहे हैं तो इसका कारण यह प्रमाणित होता है कि ये अपने-अपने धर्मो के प्रति श्रद्धालु तो हैं लेकिन आपसी प्रेम को उस श्रद्धा से ऊंचा स्थान देते हैं |यह श्रद्धा की ऊंचाई मानवता को संरक्षण देती और देश व् विश्व में अमन को सुनिश्चित करती है |  


  दीपावली सचमुच दीपकों का त्यौहार है और दीपकों का सम्बन्ध रोशनी से है इसलिए हम इसे प्रकाश पर्व भी कहते हैं |प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है |सत्य का प्रतीक है |इस दृष्टि से यह सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है |सत्य है ईश्वर जो सबका है और नाम अलग - अलग होने के बावजूद एक है |हम लोग जो राम और इश्वर को पर्यायवाची समझते हैं ,इस सच्चाई को महसूस करते हैं कि-


  दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया 
  राम एक देवता पुजारी सारी दुनिया |


  इस तल पर खड़े होकर जब सोचते हैं तो पाते हैं कि जो राम सारी दुनिया के हैं उन्हें सिर्फ हिन्दुओं का मानना तो एक प्रकार का भ्र्म है |


  राम को किसी दायरे में बांधना उचित नहीं ,इसी प्रकार प्रेम को भी किसी दायरे में बांधना उचित नहीं |जब राम असीम है,प्रेम असीम है ,उत्साह असीम है तो दीपावली का यह त्यौहार भी असीम है |जहाँ भी भारतीय रहते हैं उन देशों में भी दीपावली मनाई जाती है ,इस प्रकार भारत की खुशबू असीम हो जाती है |प्रेम की इस खुशबू को किसी सीमा में बांधने की हिमाकत न करें ,यही दीपावली के इस त्योहर का सन्देश है |