गीत सुनते आये हैं-
छोडो कल की बातें ,कल की बात पुरानी---
जब हम विद्यार्थी थे तो अक्सर सोचते थे कि इतिहास विषय को यदि न पढ़ना पड़ता तो कितना अच्छा होता |बेवजह इतने बादशाहों के नाम और वर्ष याद करने पड़ते हैं|अब सोचता हूँ कि इतिहास पढ़ने से ज्यादा समझने की चीज है |शायद इसीलिए हर देश और कौम के इतिहास हैं |यदि इसका कोई उपयोग न होता तो कई देश अब तक इस विषय को विदा कर चुके होते |
इतिहास को समझने का एक लाभ तो यह है कि हम अतीत की गलतियों को दोहराने से बच जाते हैं |जो सिर्फ इतिहास को पढ़ते हैं वे विद्वान होने का अहंकार तो जरूर पाल लेते हैं लेकिन इतिहास ने जो सबक सिखाये उन्हें समझ नहीं पाते और विद्वान होने के बावजूद वे गलतियां फिर कर लेते हैं जिनसे बचना जरूरी था |यह वैसा ही है जैसे कुछ तोतों को सिखा दिया गया कि शिकारी आएगा,जाल बिछायेगा,दाना डालेगा मगर हम उसके जाल में नहीं फंसेंगे |वे तो तोते थे इसलिए फंस गए मगर हम जो अतीत में देश का इतना बड़ा विभाजन झेल चुके हैं,आज भी सांप्रदायिक तत्वों की कठपुतली बनने से स्वयं को रोक नहीं पाते |जाति व् सम्प्रदाय की ज़िद अपने कन्धों पर लादकर घूम रहे हैं | वास्तव में धर्म का वास्तविक अर्थ है -मानवता,हर मानव की आत्मा में प्रभु को देखना |
थोड़ा ही समय गुज़रा है,बाबा हरदेव सिंह जी को हमने अपने सामने देखा |उनके विजन को देखा |उनकी मेहनत भी देखी|बाबा जी कहा करते थे कि पवित्र लक्ष्य के लिए साधन भी पवित्र होने चाहिए लेकिन हम लोग उनका अनुकरण नहीं कर सके इसलिए बाबा जी ने स्पष्ट कह दिया था कि यदि गलती करने वाले नहीं रुकते तो माफ़ करने वाले को रुकना पड़ेगा |यह इतिहास था जिसे हमने देखा और आज देख रहे हैं कि गलतियां करने वाले तो हैं लेकिन माफ़ करने वाला नहीं है और दुष्परिणाम हम देख ही रहे हैं |
हमें इतिहास से सबक लेकर परस्पर प्रेम को सम्मान देते हुए मानवता और सत्यनिष्ठा को अपना व्यवहार बनाना चाहिए |इस अवस्था में हमारा इतिहास पढ़ना भी मुबारक है और समझना भी क्यूंकि विद्वान कहते हैं कि-जो कौम अपना इतिहास भूल जाती हैं वह अंततः नष्ट हो जाती हैं |